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Showing posts from May, 2007

प्यार हो तो ऎसा !!!

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ये पोस्ट मैने अपने दूसरे चिट्ठे पर लिखी थी...पर ना जाने क्यों नारद पर नहीं आयी ..इसलिये यहाँ पर पोस्ट कर रहा हूँ...शायद अब नारद पर आ जाये.... आपने जिम और डेला की कहानी तो पढ़ी ही होगी...यदि नहीं पढ़ी तो थोड़ा इसके बारे में भी बता दूं..ये कहानी ओ हैनरी ने लिखी थी. ..कहानी का नाम था "The Gift of the Magi" जिम और डेला नाम के दो दम्पति अमरीका के न्यूयार्क शहर में रहते थे. दोनों बहुत गरीब थे लेकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. जिम के पास एक घड़ी है लेकिन उसकी चेन उसके पास नहीं है .जिम के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वो नयी चेन खरीद सके.डेला के बाल बहुत ही घने ,लंबे और सुन्दर हैं.जिम को भी डेला के बाल बहुत अच्छे लगते हैं. जिम को अपनी घड़ी और डेला को अपने बालों से बहुत प्यार है. क्रिसमस बस अब एक ही दिन दूर था. डेला के पास सिर्फ कुछ ही पैसे थे ...लगभग 1 रुपये 87 पैसे ... पर वह जिम को एक अच्छा सा क्रिसमस का उपहार,उसकी घड़ी के लिये एक चेन, देना चाहती थी.डेला जब चेन खरीदने गयी तो उसे पता चला कि चेन का दाम 21 रुपये था. डेला सोच में पड़ गयी और उसने एक बिग बनाने वाली को अपने बालों को बेचने का न

कृपया गँदा मत कीजिये-पॉडकास्ट

आजकल फिर पॉडकास्टिंग का बोल बाला है . तरकश की अच्छी अच्छी पॉडकास्ट तो सुनते ही थे पॉडभारती भी आ गया/गयी. इस सब को देख हमको यदि हमें भी जोश उमड़ गया ...इस बुढ़ापे में ...तो क्या गलत है . तो लीजिये पेश है पॉडकास्टिंग के लिये नया चिट्ठा और नयी पॉड्कास्ट. कई बार हम कुछ पढ़ते हैं तो हमारी इच्छा होती है कि हम उसे अपने मित्रों के संग बाटें . अब इतने बड़े बड़े लेख टाइप तो नहीं किये जा सकते हैं (अभय जी , अफलातून जी और कुछ लोग अपवाद हैं ) पर पॉडकास्ट किये जा सकते हैं. तो इसी श्रेणी में प्रस्तुत है आज 'देवेन्द्र नाथ शर्मा' के एक ललित निबंध “क़ृपया गंदा मत कीजिये” के प्रमुख अंश. देवेन्द्र नाथ जी एक दिन सार्वजनिक स्थान पर एक बोर्ड देखते हैं “क़ृपया गंदा मत कीजिये” तो वो चक्कर में पड़ जाते है कि “गंदा” का क्या अर्थ है ..और तब उत्पन्न होता है ये निबन्ध. "उनके थूक में रंगीनी नहीं थी. यानि वो ताम्बूल सेवी नहीं तम्बाकू सेवी थे. ताम्बूल सेवियों की छाप तो और भी गहरी होती है." "व्यसनों में भी वर्ग भावना है. बीड़ी पीने की अपेक्षा सिगरेट पीना अधिक आभिजात्य का सूचक है. " "पाश्चात्य