प्यार हो तो ऎसा !!!
ये पोस्ट मैने अपने दूसरे चिट्ठे पर लिखी थी...पर ना जाने क्यों नारद पर नहीं आयी ..इसलिये यहाँ पर पोस्ट कर रहा हूँ...शायद अब नारद पर आ जाये....
आपने जिम और डेला की कहानी तो पढ़ी ही होगी...यदि नहीं पढ़ी तो थोड़ा इसके बारे में भी बता दूं..ये कहानी ओ हैनरी ने लिखी थी. ..कहानी का नाम था "The Gift of the Magi"
जिम और डेला नाम के दो दम्पति अमरीका के न्यूयार्क शहर में रहते थे. दोनों बहुत गरीब थे लेकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. जिम के पास एक घड़ी है लेकिन उसकी चेन उसके पास नहीं है .जिम के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वो नयी चेन खरीद सके.डेला के बाल बहुत ही घने ,लंबे और सुन्दर हैं.जिम को भी डेला के बाल बहुत अच्छे लगते हैं. जिम को अपनी घड़ी और डेला को अपने बालों से बहुत प्यार है. क्रिसमस बस अब एक ही दिन दूर था. डेला के पास सिर्फ कुछ ही पैसे थे ...लगभग 1 रुपये 87 पैसे ... पर वह जिम को एक अच्छा सा क्रिसमस का उपहार,उसकी घड़ी के लिये एक चेन, देना चाहती थी.डेला जब चेन खरीदने गयी तो उसे पता चला कि चेन का दाम 21 रुपये था. डेला सोच में पड़ गयी और उसने एक बिग बनाने वाली को अपने बालों को बेचने का निर्णय लिया. इस तरह उसने 20 रुपये कमाए और एक अच्छी से चेन खरीद कर,बढ़िया सा खाना बनाकर वह जिम की प्रतीक्षा करने लगी.. वह खुश थी और इस बात की कल्पना कर थी कि कैसे जिम इस चेन को देख कर चौंक जायेगा.हाँलांकि वो थोड़ा डर भी रही थी कि कहीं उसके कटे हुए बालों को देखकर जिम नाराज ना हो जाये.
जब जिम वापस लौटा तो वो चकित ही रह गया लेकिन डेला के छोटे,कटे हुए बालों को देखकर.उसने डेला को भयभीत कर देने वाली नजरों से घूरा.डेला ने डरते डरते बताया कि कैसे उसने जिम के लिये घड़ी की चेन लेने के खतिर अपने बालों को बेच डाला. जिम ने उसे समझाया कि उसे डरने की आवश्यकता नहीं है क्योकि उसका प्यार इन छोटी छोटी बातों से कम नहीं होगा लेकिन वह भी डेला के लिये एक क्रिसमस का उपहार लाया था और ऎसा कहके उसने अपने हाथ का लिफाफा डेला के हाथ में पकड़ा दिया. डेला ने जब लिफाफा खोला तो उसमें डेला के लिये वो खूबसूरत कंघे थे जो वह खरीदना चाहती थी पर मँहगे होने के कारण खरीद नहीं पायी थी. डेला ने भी अपना उपहार यानि की घड़ी की चेन जिम को दी और कहा कि वह उसे घड़ी में लगा कर पहने..जिम के उत्तर से डेला और भी चौंक गयी क्योकि उन खूबसूरत कंघों को खरीदने के लिये जिम ने अपनी घड़ी बेच दी थी.
तो ये तो थी ओ हैनरी साहब की कहानी जो कभी बचपन में पढ़ी थी...वैसे यदि आप ये पूरी कहानी अंग्रेजी में पढ़ें तो और भी मजा आयेगा .... अब इसी से मिलती जुलती दो घटनाऎं जो मेरे सामने ही घटीं मेरे मित्र के साथ....एक दूसरे को सरप्राईज करने के चक्कर में ....आप भी देखिये......
जब मेरे मित्र का प्रेम प्रसंग चल रहा था तो उनकी तब की प्रेमिका और अभी की पत्नी कॉलेज में पढ़ा करतीं थीं.... मित्र का ऑफिस का रास्ता और उनकी प्रेमिका जी का रास्ता एक ही था पर फिर भी वो लोग एक दूसरे को देख भी नहीं पाते थे...क्योकि मित्र साढ़े आठ बजे के आसपास ऑफिस के लिये निकलते थे और प्रेजी साढ़े दस बजे के आसपास .. तो सारा वार्तालाप फोन तक ही सीमित था.... एक दिन प्रेजी को कॉलेज जल्दी जाना था ....करीब नौ बजे... तो वो मित्र को बोली कि आप कल थोड़ा सा देर से चले जाना ताकि रास्ते में हम एक दूसरे को देख सकें ... वो अभी तक दुनिया के सामने एक दूसरे को देखने तक ही सीमित थे.... मित्र ने कहा नहीं मैं तो साढ़े आठ बजे ही जा पाउंगा क्योकि मुझे तो नौ बजे ऑफिस पहुंच जाना होता है .. तुम थोड़ा जल्दी आ जाओ ..प्रेजी बोली नहीं इतनी जल्दी मैं घर में क्या बोलकर निकलुंगी ... तो अंतत: ये हुआ कि चलो फिर कभी ऎसे मौके की तलाश की जायेगी आज जाने दें.....
लेकिन अब प्रेजी ने सोचा चलो मित्र को चकित करते हैं .... तो प्रेजी घर से किसी तरह बहाने बनाकर सुबह साढ़े आठ बजे निकल दीं...इधर मित्र चकित होने नहीं चकित करने के मूड में थे ....वो ये सोच कर थोड़ा रुक गये...चलो नौ बजे निकलते हैं ताकि प्रेजी के दर्शन हो जांये ... दोनो एक दूसरे को चकित करने के चक्कर में एक दूसरे के दर्शन नहीं कर पाये....
दूसरी घटना उन्हीं मित्र के साथ कल हुई .... वह प्रेजी अब पजी हैं ...यानि उनकी पत्नी जी हैं....
मेरे मित्र को कुछ कपड़े लेने थे ... उन्होने मुझसे कहा कि यार आज शाम को ऑफिस के बाद चलो ..कपड़े ले लेते हैं ...मैने उन्हें सलाह दी (और अपना पीछा छुड़ाना चाहा) कि यार अब तो कपड़े भाभी की पसंद के ही लिया करो ...शाम को चले जाओ भाभी के साथ... वो बोले यार अब बच्चों के साथ उसको कहाँ इतनी फुरसत रहती है ...चलो फिर भी तू कहता है तो एक बार बात करता हूँ....उन्होने फोन किया और अनुरोध किया (शादी के बाद पति सिर्फ अनुरोध ही कर सकता है) कि वो शाम को उनके ऑफिस के पास चले आये ...वो ड्राइवर को गाड़ी ले के भेज देंगे .... तो पजी ने जबाब दिया कि घर में इतने सारे काम पड़े हैं और फिर इतने छोटे छोटे बच्चों के साथ मार्केट जा पाना संभव नहीं है ... साथ ही ये नसीहत भी दे डाली कि अपने कपड़े भी खुद नहीं खरीद सकते.. अरे कुछ काम तो खुद कर लिया करो... फिर आदेश जैसा दिया कि आज शाम को जल्दी घर आ जाना ..मित्र का मूड तो ऑफ हो ही चुका था ..वो बोले ....नहीं आज जल्दी नहीं आ सकता.. ऑफिस में आज बहुत काम है.....और फोन रख दिया .....
लेकिन घटना यहाँ खतम नहीं हुई ...फोन रखने के बाद मित्र ने सोचा कि चलो यार आज चले ही जाते हैं घर जल्दी ...रास्ते से कपड़े भी ले लेंगे ...और कर देंगे पजी को सरप्राईज वो भी तो देखे कि हम अपना काम खुद भी कर सकते हैं ...और सारा कामधाम निपटा के 4 बजे ही ऑफिस से निकल गये (बांकी दिन 6.30 बजे तक निकलते थे) ... धूप और गर्मी में पार्किंग में पहुंचे तो देखा गाड़ी तो थी ही नहीं ... ड्राइवर को फोन किया तो वो बोला कि वो अभी गाड़ी ले के कहीं गया है ... पूछ्ने पे कि कहाँ गया है ?...वो बोला 'सरप्राईज' है.. ... गुस्सा तो बहुत आया होगा मित्र को ..इसी गुस्से में घर फोन किया गया पजी को पूछ्ने के लिये कहीं उसने तो ड्राइवर को कहीं नहीं भेज दिया .... तो पता चला कि पजी ने ड्राईवर को घर बुलाया था ...तकि पजी गाड़ी में ऑफिस आ सकें और शाम को मित्र के लिये कपड़े खरीद सके....मित्र का गुस्सा और बढ़ गया ..और वो बोले अभी कहीं नहीं जाना है ..पत्नी बोलती ही रह गयी ...पर मित्र ने फोन काट दिया..... और मुँह लटका के धूप में ऑटो का इंतजार करने लगे......घर जाने के लिये.....
तो ये था सरप्राईज का कमाल ....तो आप इस तरह से सरप्राईज करने कराने से बचियेगा.....
आपने जिम और डेला की कहानी तो पढ़ी ही होगी...यदि नहीं पढ़ी तो थोड़ा इसके बारे में भी बता दूं..ये कहानी ओ हैनरी ने लिखी थी. ..कहानी का नाम था "The Gift of the Magi"
जिम और डेला नाम के दो दम्पति अमरीका के न्यूयार्क शहर में रहते थे. दोनों बहुत गरीब थे लेकिन एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे. जिम के पास एक घड़ी है लेकिन उसकी चेन उसके पास नहीं है .जिम के पास इतने पैसे भी नहीं हैं कि वो नयी चेन खरीद सके.डेला के बाल बहुत ही घने ,लंबे और सुन्दर हैं.जिम को भी डेला के बाल बहुत अच्छे लगते हैं. जिम को अपनी घड़ी और डेला को अपने बालों से बहुत प्यार है. क्रिसमस बस अब एक ही दिन दूर था. डेला के पास सिर्फ कुछ ही पैसे थे ...लगभग 1 रुपये 87 पैसे ... पर वह जिम को एक अच्छा सा क्रिसमस का उपहार,उसकी घड़ी के लिये एक चेन, देना चाहती थी.डेला जब चेन खरीदने गयी तो उसे पता चला कि चेन का दाम 21 रुपये था. डेला सोच में पड़ गयी और उसने एक बिग बनाने वाली को अपने बालों को बेचने का निर्णय लिया. इस तरह उसने 20 रुपये कमाए और एक अच्छी से चेन खरीद कर,बढ़िया सा खाना बनाकर वह जिम की प्रतीक्षा करने लगी.. वह खुश थी और इस बात की कल्पना कर थी कि कैसे जिम इस चेन को देख कर चौंक जायेगा.हाँलांकि वो थोड़ा डर भी रही थी कि कहीं उसके कटे हुए बालों को देखकर जिम नाराज ना हो जाये.
जब जिम वापस लौटा तो वो चकित ही रह गया लेकिन डेला के छोटे,कटे हुए बालों को देखकर.उसने डेला को भयभीत कर देने वाली नजरों से घूरा.डेला ने डरते डरते बताया कि कैसे उसने जिम के लिये घड़ी की चेन लेने के खतिर अपने बालों को बेच डाला. जिम ने उसे समझाया कि उसे डरने की आवश्यकता नहीं है क्योकि उसका प्यार इन छोटी छोटी बातों से कम नहीं होगा लेकिन वह भी डेला के लिये एक क्रिसमस का उपहार लाया था और ऎसा कहके उसने अपने हाथ का लिफाफा डेला के हाथ में पकड़ा दिया. डेला ने जब लिफाफा खोला तो उसमें डेला के लिये वो खूबसूरत कंघे थे जो वह खरीदना चाहती थी पर मँहगे होने के कारण खरीद नहीं पायी थी. डेला ने भी अपना उपहार यानि की घड़ी की चेन जिम को दी और कहा कि वह उसे घड़ी में लगा कर पहने..जिम के उत्तर से डेला और भी चौंक गयी क्योकि उन खूबसूरत कंघों को खरीदने के लिये जिम ने अपनी घड़ी बेच दी थी.
तो ये तो थी ओ हैनरी साहब की कहानी जो कभी बचपन में पढ़ी थी...वैसे यदि आप ये पूरी कहानी अंग्रेजी में पढ़ें तो और भी मजा आयेगा .... अब इसी से मिलती जुलती दो घटनाऎं जो मेरे सामने ही घटीं मेरे मित्र के साथ....एक दूसरे को सरप्राईज करने के चक्कर में ....आप भी देखिये......
जब मेरे मित्र का प्रेम प्रसंग चल रहा था तो उनकी तब की प्रेमिका और अभी की पत्नी कॉलेज में पढ़ा करतीं थीं.... मित्र का ऑफिस का रास्ता और उनकी प्रेमिका जी का रास्ता एक ही था पर फिर भी वो लोग एक दूसरे को देख भी नहीं पाते थे...क्योकि मित्र साढ़े आठ बजे के आसपास ऑफिस के लिये निकलते थे और प्रेजी साढ़े दस बजे के आसपास .. तो सारा वार्तालाप फोन तक ही सीमित था.... एक दिन प्रेजी को कॉलेज जल्दी जाना था ....करीब नौ बजे... तो वो मित्र को बोली कि आप कल थोड़ा सा देर से चले जाना ताकि रास्ते में हम एक दूसरे को देख सकें ... वो अभी तक दुनिया के सामने एक दूसरे को देखने तक ही सीमित थे.... मित्र ने कहा नहीं मैं तो साढ़े आठ बजे ही जा पाउंगा क्योकि मुझे तो नौ बजे ऑफिस पहुंच जाना होता है .. तुम थोड़ा जल्दी आ जाओ ..प्रेजी बोली नहीं इतनी जल्दी मैं घर में क्या बोलकर निकलुंगी ... तो अंतत: ये हुआ कि चलो फिर कभी ऎसे मौके की तलाश की जायेगी आज जाने दें.....
लेकिन अब प्रेजी ने सोचा चलो मित्र को चकित करते हैं .... तो प्रेजी घर से किसी तरह बहाने बनाकर सुबह साढ़े आठ बजे निकल दीं...इधर मित्र चकित होने नहीं चकित करने के मूड में थे ....वो ये सोच कर थोड़ा रुक गये...चलो नौ बजे निकलते हैं ताकि प्रेजी के दर्शन हो जांये ... दोनो एक दूसरे को चकित करने के चक्कर में एक दूसरे के दर्शन नहीं कर पाये....
दूसरी घटना उन्हीं मित्र के साथ कल हुई .... वह प्रेजी अब पजी हैं ...यानि उनकी पत्नी जी हैं....
मेरे मित्र को कुछ कपड़े लेने थे ... उन्होने मुझसे कहा कि यार आज शाम को ऑफिस के बाद चलो ..कपड़े ले लेते हैं ...मैने उन्हें सलाह दी (और अपना पीछा छुड़ाना चाहा) कि यार अब तो कपड़े भाभी की पसंद के ही लिया करो ...शाम को चले जाओ भाभी के साथ... वो बोले यार अब बच्चों के साथ उसको कहाँ इतनी फुरसत रहती है ...चलो फिर भी तू कहता है तो एक बार बात करता हूँ....उन्होने फोन किया और अनुरोध किया (शादी के बाद पति सिर्फ अनुरोध ही कर सकता है) कि वो शाम को उनके ऑफिस के पास चले आये ...वो ड्राइवर को गाड़ी ले के भेज देंगे .... तो पजी ने जबाब दिया कि घर में इतने सारे काम पड़े हैं और फिर इतने छोटे छोटे बच्चों के साथ मार्केट जा पाना संभव नहीं है ... साथ ही ये नसीहत भी दे डाली कि अपने कपड़े भी खुद नहीं खरीद सकते.. अरे कुछ काम तो खुद कर लिया करो... फिर आदेश जैसा दिया कि आज शाम को जल्दी घर आ जाना ..मित्र का मूड तो ऑफ हो ही चुका था ..वो बोले ....नहीं आज जल्दी नहीं आ सकता.. ऑफिस में आज बहुत काम है.....और फोन रख दिया .....
लेकिन घटना यहाँ खतम नहीं हुई ...फोन रखने के बाद मित्र ने सोचा कि चलो यार आज चले ही जाते हैं घर जल्दी ...रास्ते से कपड़े भी ले लेंगे ...और कर देंगे पजी को सरप्राईज वो भी तो देखे कि हम अपना काम खुद भी कर सकते हैं ...और सारा कामधाम निपटा के 4 बजे ही ऑफिस से निकल गये (बांकी दिन 6.30 बजे तक निकलते थे) ... धूप और गर्मी में पार्किंग में पहुंचे तो देखा गाड़ी तो थी ही नहीं ... ड्राइवर को फोन किया तो वो बोला कि वो अभी गाड़ी ले के कहीं गया है ... पूछ्ने पे कि कहाँ गया है ?...वो बोला 'सरप्राईज' है.. ... गुस्सा तो बहुत आया होगा मित्र को ..इसी गुस्से में घर फोन किया गया पजी को पूछ्ने के लिये कहीं उसने तो ड्राइवर को कहीं नहीं भेज दिया .... तो पता चला कि पजी ने ड्राईवर को घर बुलाया था ...तकि पजी गाड़ी में ऑफिस आ सकें और शाम को मित्र के लिये कपड़े खरीद सके....मित्र का गुस्सा और बढ़ गया ..और वो बोले अभी कहीं नहीं जाना है ..पत्नी बोलती ही रह गयी ...पर मित्र ने फोन काट दिया..... और मुँह लटका के धूप में ऑटो का इंतजार करने लगे......घर जाने के लिये.....
तो ये था सरप्राईज का कमाल ....तो आप इस तरह से सरप्राईज करने कराने से बचियेगा.....
Comments
लेकिन इससे सरप्राइज की अहमियत खत्म नहीं बल्कि और बढ़ती है.
और आपके रीयल लाईफ़ के जिम और डेला.. की कहानी भी खूब रही.. ये बातें ही यादें बन जाती हैं..
ऐसी प्रस्तुतियाँ देते रहिए।
-मगर आपके मित्र की सरप्राईजेज भी कम मजेदार नहीं रहीं. अब तक भौचक्के घूम रहे होंगे. :)
सही है
अच्छी कहानी है,
प्यार हो तो ऐसा हो!!!